ना आज खामोशियों से कोई शिकवा है,
ना कोई मेरी खामोशियों पढ़ सकता हैं,
ना आज जन्नत का दीदार हैं,
पर मां सिर पर मेरे आज भीं
तेरी ही दुवाओं का नूर हैं...
- विकी (April 2020)
Let's Simplify
ना आज खामोशियों से कोई शिकवा है,
ना कोई मेरी खामोशियों पढ़ सकता हैं,
ना आज जन्नत का दीदार हैं,
पर मां सिर पर मेरे आज भीं
तेरी ही दुवाओं का नूर हैं...
- विकी (April 2020)